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देशभर में लागू होगा SIR, बिहार मॉडल बना आधार


नई दिल्ली: (न्यूज़ desk) चुनाव आयोग (EC) ने देश भर में State Identification Register (SIR) लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है बिहार मॉडल को आधार बनाते हुए यह प्रक्रिया धीरे-धीरे सभी राज्यों में लागू होगी की जाएगी . चुनाव आयोग का कहना है कि इस कदम से मतदाता सूची और अधिक पारदर्शी तथा विश्वसनीय बनेगी.


Bihar SIR


क्या है SIR प्रक्रिया ?

SIR एक ऐसी प्रणाली है जिसमें मतदाताओं की पहचान को निश्चित दस्तावेजों के आधार पर सत्यापित किया जाता है इसे फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी और मतदाता सूची मैं केवल वही लोग रहेंगे जिनकी पहचान प्रमाणित होगी हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि देश के ज्यादातर राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को कोई अतिरिक्त दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


क्यों नहीं होगी दस्तावेज़ दिखाने की ज़रूरत 


Bihar SIR ind24live.in


मतदाताओं के नाम पहले से 2002 से 2004 की वोटर लिस्ट में दर्ज है उन्हें दोबारा जन्म प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी. वही 1987 के बाद जन्म लेने वाले युवाओं को अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे. आयोग का मानना है कि इससे नए मतदाताओं की पहचान और मजबूत तरीके से सत्यापित हो सकेगी.


बिहार का मामला बना मिसाल


बिहार देश का पहला राज्य है जहां 2003 में SIR सूची तैयार की गई थी उस समय लगभग 5 करोड़ मतदाता यानी 60% लोग इसमें पहले से ही दर्ज थे. मैं कोई अतिरिक्त दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


Election commission 2025 SIR


जबकि करीब तीन करोड़ नए मतदाताओं (40%) को 11 निर्धारित दस्ताबेंजो में से कोई एक पेश करना पड़ा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार कार्ड को भी मान्य दस्तावेजों की सूची में जोड़ लिया गया जिससे दस्तावेजों की कुल संख्या 12 हो गई.


बिहार में मामला कोर्ट में लंबित

बिहार की SIR प्रक्रिया को लेकर फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. कोर्ट यह तय करेगा की प्रक्रिया पूरी तरह से समवेताने और पारदर्शी है या नहीं चुनाव आयोग का कहना है कि कोर्ट का फैसला आने के बाद देश भर में इसे और मजबूती के साथ लागू किया जाएगा.


देशभर में, होगा असर

विशेषज्ञों का मानना है कि SIR लागू होने से देश भर में मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ेगी. इससे डुप्लीकेट वोटर और फर्जी वोटर की पहचान हो सकेगी. साथ ही नए मतदाताओं को पंजीकरण के समय सही दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. हालांकि पुराने मतदाताओं को किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि बे पहले से ही सूची में दर्ज है.

क्या होगा SIR का फायदा

चुनाव आयोग की यह पहला देश के चुनावी ढांचे को और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है. जहां एक और इससे मतदाता सूची में सुधार होगा, वहीं दूसरी ओर युवाओं को शुरुआत से ही दस्तावेजों की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. फिलहाल सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. जिसके बाद फैसले के बाद यह प्रणाली SIR का भविष्य तय करेगा.

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